Dr. Sarvesh Kumar Singh. Dhanwantri Ayurved Chikitsalay Panchkarma & Kshar-Sutra Centre,H.N.Singh Chauraha, Medical College Road, Near Metro HospitalBasharatpur,Gorakhpur273004
नस्य कर्म:- कफ दोष को बाहर निकालने के लिए जो औषध द्रव्य, चूर्ण अथवा द्रव के रूप में नासिका रंध्रो (Nostril) से दिया जाता हैं, उसे नस्य कर्म कहते है।
मानव शरीर का सबसे उत्तम अंग शिर होता हैं और नाक को शिर का द्वार कहा गया है।
नस्य के योग्य:- शिरो रोग, शिरःशूल, अर्दित, प्रतिश्याय, पीनस, नेत्र रोग, मुख रोग, दन्त रोग, मन्यास्तम्भ, स्वरभेद, कर्णरोग, आदि कफज रोग एवं वमन कर्म के पश्चात् नस्य कर्म किया जाता है।
नस्य का काल - बसन्त ऋतु एवं चिकित्सक के निर्देशानुसार
समय - 07 दिन से 21 दिन।
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