वर्तमान समाज की संरचना में विषमता दिखाई देती है। एक तरफ गगन चुम्बी भवन, वैभव सम्पन्न जीवन तथा दूसरी तरफ राष्ट्र की आत्मा गांव व शहर की सेवा बस्तियों (मलिन) में रहने वाले ऐसे लोग जो सामाजिक व आर्थिक रूप से दुर्बल है, जिसका पूरा परिवार कमाने के लिए दिनभर कड़ी मेहनत करता है। फिर भी जीवन के लिए आवश्यक सुविधाएं नहीं जुटा पाता। गंदगी भरे वातावरण में आधा पेट भूखे रहकर जीवन बिताना होता है। कुपोषण तथा गंदगी के कारण दयनीय स्थिति रहती है। परिवार में किसी के बीमार हो जाने पर धन के अभाव में न वे किसी डॉक्टर को दिखा पाते हैं तथा न ही दवा को खरीदने में समर्थ होते हैं। इसलिए नि:स्वार्थ सेवा भावना से ऐसे बधुंओ के सहायतार्थ ' सचल चिकित्सालय' प्रारम्भ किया गया है। यह सेवा भारती गोरखपुर का यशस्वी प्रकल्प है।
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